🌷✊ یــــــــــــــــــــــــــــا رسول الــــلّٰــــه ﷺ 🌷
🕋 ﷽ 🕋
❥═❥ ❥ इल्म ए दींन ❥ ❥═❥
पैगाम ए उम्मते मुहम्मदी ﷺ
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🕋 SαωαL 🕋
🔐 फ़रमान ए मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के मुताबिक जन्नत में मोमिन का ज़ेवर कहा तक होगा....❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ आजाये गर्दन तक
📁Ⓑ📁 ➪ आजाये वज़ू तक
📁Ⓒ📁 ➪ आजाये ग़ुस्ल तक
📁Ⓓ📁 ➪ सत्तरे औरत तक
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 🅱 ➪ आजाये वज़ू तक
📃 तफ्सील 📃
📜☞ हज़रते सय्यदूना अबु हुरैरा रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि मैने दो जहा के सुल्तान सरवरे जीशान महबूबे रहमान सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम को फरमाते हुए सुना कि जन्नत में मोमिन का ज़ेवर वहां तक होगा जहां तक वुज़ू का पानी पंहुचता हैं...✍
📬 सहीह मुस्लिम हदीस 250 जन्नत की तय्यारी सफह 38/39 📚
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🔐 तवाफ़ के बाद मकाम ए इब्राहीम के करीब दो रकात नमाज़ ए तवाफ़ अदा की जाती है वह क्या है...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ वाज़िब है
📁Ⓑ📁 ➪ सुन्नत है
📁Ⓒ📁 ➪ नफ़्ल है
📁Ⓓ📁 ➪ मुस्तहब है
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 🅱 ➪ आजाये वज़ू तक
📃 तफ्सील 📃
📜☞ तवाफ़ के चक्कर पूरे होने के बाद मकाम ए इब्राहीम के करीब जगह मिले तो बेहतर वरना मस्जिदे हराम में जहां जगह मीले मकरुह वक़्त को छोड़ कर दो रकात नमाज़े तवाफ़ अदा करे यह नमाज़ वाज़िब है और कोई मजबुरी न हो तवाफ़ के फौरन पढ़ना सुन्नत है....✍
📬 हज व उमरह का मुख्तसर तरीका सफह-6 📚
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🔐 फ़रमान ए मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के मुताबिक किस हाजी से फरिश्ते गले मिलते है..❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ पैदल से
📁Ⓑ📁 ➪ सुवार से
📁Ⓒ📁 ➪ मर्ज में मुब्तिला से
📁Ⓓ📁 ➪ खुश मिजाज़ से
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 🅰 ➪ पैदल से
📃 तफ्सील 📃
📜☞ फ़रमान ए मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम है जब हाजी सुवार हो कर आते है तो फरिश्ते उनसे मूसा-फहा करते है और जो पैदल चल कर आते है फिरिश्ते उनसे गले मिलते हैं....✍
📬 रफीकुल हरमैन सफह 47 📚
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🔐 तवाफ़ व सअय वगैराह में हर जगह पढ़ने के लिए सबसे अफ़ज़ल दुआ कोन सी बताई गई है..❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ दुआ ए माशूरा
📁Ⓑ📁 ➪ दुआ ए आशूरा
📁Ⓒ📁 ➪ दुआ ए हज
📁Ⓓ📁 ➪ दरूद शरीफ
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 D ➪ दरूद शरीफ
📃 तफ्सील 📃
📜☞ अगर तवाफ़ व सअय वगैराह में हर जगह किसी और दुआ के बजाए दरूद शरीफ ही पढ़ते रहे तो येह सबसे अफ़ज़ल है और दरूदो सलाम की बरकत से सारे बिगड़े काम संवर जाएंगे रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम फरमाते है ऐसा करेगा अल्लाह तआला तेरे सब काम बना देगा ओर तेरे सब गुनाह माफ़ फर् मा देगा (फतावा रजविया)...✍
📬 रफीकुल हरमैन सफह-52 📚
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🔐 फ़रमान ए मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के मुताबिक जन्नत में आला मुकाम पर घर किसके लिए बनाया जाएगा..❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ जो बातिल झूठ बोलना छोड़ दें
📁Ⓑ📁 ➪ जो हक़ पर होते हुए झगड़ना छोड़ दें
📁Ⓒ📁 ➪ जो अखलाक का अच्छा हो
📁Ⓓ📁 ➪ जो किसी की मदद के खातिर हज छोड़ दें
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 © ➪ जो अखलाक का अच्छा हो
📃 तफ्सील 📃
📜☞ हज़रते सय्यदुना अनस बिन मालिक रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि सरकारे नामदार मदीने के ताजदार सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया जो बातिल झूठ बोलना छोड़ दें उसके लिए जन्नत के किनारे पर एक घर बनाया जाएगा और जो हक़ पर होते हुए झगड़ना छोड़ दें उसके लिए जन्नत के वस्त में एक घर बनाया जाएगा और जिसका अखलाक अच्छा होगा उसके लिए जन्नत के आला मकाम में एक घर बनाया जाएगा....✍
📬 जन्नत की तैयारी सफह 37 तिर्मिज़ी हदीस 2000 📚
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🔐 फरमान ए मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के मुताबिक हाजी अपने घर वालो में से कितने लोगों की शफाअत करे..❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 100 लोगों की
📁Ⓑ📁 ➪ 200 लोगों की
📁Ⓒ📁 ➪ 300 लोगों की
📁Ⓓ📁 ➪ 400 लोगों की
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 D ➪ 400 लोगों की
📃 तफ्सील 📃
📜☞ फरमान ए मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम है कि हाजी अपने घर वालो में से 400 की शफाअत करेगा और गुनाहों से ऐसा निकल जायेगा जैसे उस दिन की मां के पेट से पैदा हुवा...✍
📬 रफीकुल हरमैन सफह-67 📚
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🔐 मस्जिदुल हराम में एतिकाफ की नीयत करने पर कितने एतिकाफ का सवाब मिलता हैं.❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ पचास हजार
📁Ⓑ📁 ➪ एक लाख
📁Ⓒ📁 ➪ एक लाख पच्चीस हजार
📁Ⓓ📁 ➪ एक लाख पचास हजार
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 🅱 ➪ एक लाख
📃 तफ्सील 📃
📜☞ मस्जिदुल हराम में एक नेकी लाख नेकी के बराबर है लिहाजा एतिकाफ की नीयत करने वाले एक लाख एतिकाफ का सवाब पाएंगे जब तक मस्जिद के अंदर रहेंगे एतिकाफ का सवाब मिलेगा और जिमनन खाना जमजम शरीफ पीना और सोना वगैरा भी जाइज़ हो जायेगा वरना मस्जिद में यह चीजे शरअन न जाइज़ हैं...✍
📬 रफीकुल हरमैन सफह-91 📚
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🔐 हज की सुन्नते कितनी है..❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 08 सुन्नते
📁Ⓑ📁 ➪ 10 सुन्नते
📁Ⓒ📁 ➪ 16 सुन्नते
📁Ⓓ📁 ➪ 20 सुन्नते
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 © ➪ 16 सुन्नते
📃 तफ्सील 📃
📜☞ हज के 16 सुन्नते हैं
(1) "तवाफ़े कुड़ुम" यानि मीक़ात के बाहर से आने वाला शख्श मक्का-इ-मुकर्रमा हाज़िर हो कर सब में पहला जो तवाफ़ करे इसे तवाफ़े कुड़ुम कहते हैं,
(2 ) तवाफ़ का हज्रे अस्वद से शुरू करना
(3) तवाफ़े कुड़ुम या तवाफ़े फ़र्ज़ में रमल करना
(4) सफ़ा व मरवा के दरमियान जो दो मिल अख़ज़र हैं उन के दरमियान दौड़ना
(5) इमाम का मक्का में 07 वी को
(6) और अरफ़ात में 09 वी कॉ,
(7)और मिना में 11वी को ख़ुत्बा पढ़ना,
(8) 08वी की फ़ज्र के बाद मक्का से रवाना होना,
(9) 09वी की फ़ज्र के बाद मक्का-इ-मुकर्रमा से रवाना होना ताकि मुना में 05,,नमाज़े ली जाएं,
(10) आफ़ताब निकलने के बाद मिना से अरफ़ात को रवाना होना
(11) वक़ूफ़े अरफ़ा के लिए ग़ुस्ल करना,
(12) अरफ़ात से वापसी में मुज़दलफा में रात को रहना,
(13) सूरज निकलने से पहले यहाँ से मिना चले जान,
(14) 10,ओर 11,के बाद जो दोनों रातें हैं इन को मिना में गुज़रना
(15) 13व, को भी मिना में रहा तो 13वि, के बाद की रात को भी मिना में रहे,
(16) ऐब'तह में वादी इ महसाब में उतरना अगरचे थोड़ी देर के लिए हो।...✍
📬 क़ानूने शरीयत पेज नंबर 33 📚
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🔐 फ़रमान ए मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के मुताबिक लब्बेक कहने वाले के किस अमल पर जन्नत की खुश खबरी दी जाती हैं..❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ लब्बेक कहने पर
📁Ⓑ📁 ➪ अहराम बांधने पर
📁Ⓒ📁 ➪ सेई करने पर
📁Ⓓ📁 ➪ तवाफ़ करने पर
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 🅰 ➪ लब्बेक कहने पर
📃 तफ्सील 📃
📜☞ फ़रमान ए मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम है कि जब लब्बेक कहने वाला लब्बेक कहता है तो उसे खुश खबरी दी जाती है अर्ज़ की गई या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम क्या जन्नत की खुश खबरी दी जाती है इरशाद फ़रमाया "हां"....✍
📬 रफीकुल हरमैन सफह-74/74 📚
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🔐 मैय्यत दफन करने के बाद जो अज़ान दी जाती है उससे मैय्यत को कितने फायदे होते हैं..❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 04 फायदे
📁Ⓑ📁 ➪ 07 फायदे
📁Ⓒ📁 ➪ 09 फायदे
📁Ⓓ📁 ➪ 12 फायदे
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 🅰 ➪ लब्बेक कहने पर
📃 तफ्सील 📃
📜☞ अज़ान से मैयत को यह सात फाईदे हासिल होते हैं।
1 शैताने रज़िम के शर से पनाह ।
2 तकबिर की बदौलत अज़ाबे नार से अमान।
3 जवाब सवालात का याद आ जाना।
4 जिक्रे अज़ान के बाइस अज़ाबे क़ब्र से नजात पाना।
5 जिक्रे मुस्तफाﷺ सल्ललाहु तआला अलैही व् सल्लम की बरकत से नुजुले रहमत ।
6 अज़ान की बदौलत दफअ वहश्त।
7 जावाले गम व् हुसुले सुरूर व् फरहत।..✍
📬 फैजाने आला हजरत सफह -583/584 📚
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🔐 अज़ान से जिन्दो को कितने फायदे हासिल होते ..❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 10 फायदे
📁Ⓑ📁 ➪ 15 फायदे
📁Ⓒ📁 ➪ 20 फायदे
📁Ⓓ📁 ➪ 25 फायदे
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 © ➪ 15 फायदे
📃 तफ्सील 📃
📜☞ जिन्दो के लिए अज़ान में पन्द्रह मुनाफे (फायदे) हैं।
1 ➪ शैताने रज़िम के शर से पनाह ।
2 ➪ तकबिर की बदौलत अज़ाबे नार से अमान।
3 ➪ जवाब सवालात का याद आ जाना।
4 ➪ जिक्रे अज़ान के बाइस अज़ाबे क़ब्र से नजात पाना।
5 ➪ जिक्रे मुस्तफाﷺ सल्ललाहु तआला अलैही व् सल्लम की बरकत से नुजुले रहमत ।
6 ➪ अज़ान की बदौलत दफअ वहश्त।
7 ➪ जावाले गम व् हुसुले सुरूर व् फरहत।
8 ➪ मैयत के लिए दफा शैतान की तदबीर से इत्तिबा सुन्नत।
9 ➪ आसानी जवाब की तदबीर से इत्तिबा सुन्नत।
10 ➪ क़ब्र के पास की दुआ से इत्तिबा सुन्नत ।
11 ➪ नफअ मैयत के क़स्द से क़ब्र के पास तकबीरे कह कर इत्तिबा सुन्नत।
12 ➪ मुतलक़ जिक्र के फवाइद मिलना, जिन से क़ुरआन व् हदीस मालामाल हैं।
13 ➪ जिक्रे मुस्तफ़ाﷺ सल्ललाहु तआला अलैही व् सल्लम के सबब रहमते पाना
14 ➪ मुतलक़ दुआ के फ़ज़ाइल हाथ आना ,जिसे हदीस में मग्जे इबादत फरमाया
15 ➪ मुतलक़ अज़ान के बरकात मिलना ,जिन में मुन्तहाए आवाज तक मग्फिरत और हर खुश्क व् तर के इस्तिग्गफार व् श्हादत और दिलो को सब्र व् सुकून व् राहत हैं।..✍
📬 फैजाने आला हजरत सफह-583/584 📚
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🔐 उमरह या हज के लिए गरीब उशशाक लोगो का माली इमदाद का सूवाल करना कैसा है...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ हराम है
📁Ⓑ📁 ➪ जाइज़ है
📁Ⓒ📁 ➪ वाज़िब है
📁Ⓓ📁 ➪ सुन्नत है
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 🅰 ➪ हराम है
📃 तफ्सील 📃
📜☞ सदरुल अफाज़िल मौलाना नईमुद्दीन मुरादाबादी रहमतुल्लाह अलैह नकल करते बाज़ य-मनी हज के लिये बे सरो सामानी के साथ रवाना होते थे और अपने आपको मुतवक्किल (यानी अल्लाह तआला पर भरोसा रखने वाला)कहते थे और मक्कए मुकर्रमा पहुंच कर सूवाल शुरुअ कर देते और कभी ग़स्ब व खियानात के भी मुर-तकिब होते उनके बारे में येह आयते मुक़दसा नाज़िल हुई और हुक्म हुवा कि तोशा (सफर के अखराजात ) ले कर चलो औरो पर बार ना डालो सूवाल न करो कि बेहतर तोशा परहेज़गारी हैं....✍
📬 पारा 2 सूरह बक़रह आयात 197 📔
📬 रफीकुल हरमैन सफाह-326 📚
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🔐 फ़रमान ए मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के मुताबिक कयामत के दिन किनके मुंह पर गोश्त न होगा..❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ नाहक़ सुवाल करने वालो के
📁Ⓑ📁 ➪ नाहक़ हराम खाने वालों के
📁Ⓒ📁 ➪ नाहक़ मुरदार खाने वालों के
📁Ⓓ📁 ➪ नाहक़ क़फ़न चुराने वालो के
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 🅰 ➪ नाहक़ सुवाल करने वालो के
📃 तफ्सील 📃
📜☞ सुल्तान ए मदीना राहत ए क्लबो सीना सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम का फरमान ए बा करीना है जो शख़्स लोगों से सुवाल करे हालांकि न उसे फ़ाक़ा पहुंचा न इतने बाल बच्चे है जिनकी ताक़त नही रखता तो क़ियामत के दिन इस तरह आएगा कि उस के मुंह पर गोश्त न होगा...✍
📬 फीकुल हरमैन सफह-327 📚
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🔐 हज़रत सय्यदुना हसन बसरी रहमतुल्ला अलैह के फरमान के मुताबिक मुनाफिक किसकी मिस्ल होता हैं..❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ दुम हिलाता कुत्ता
📁Ⓑ📁 ➪ शैतान का बेटा
📁Ⓒ📁 ➪ लात मारने वाला घोड़ा
📁Ⓓ📁 ➪ खूंखार दरिंदा
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 D ➪ खूंखार दरिंदा
📃 तफ्सील 📃
📜☞ हजरत सय्यदुना हसन बसरी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है मुनाफिक गोश्त खाने का आदी व शौकीन खूंखार दरिंदा की तरह होता है वह बड़े बड़े लुकमे निगलता और हड़प करता चला जाता है न तो खुद भूखा रह कर अपने पड़ोसी को खिलाता हैं और न ही अपना बचा हुआ इज़ाफ़ी खाना किसी मोमिन को देता है लिहाजा तुम इज़ाफ़ी खाने को सदका करके आख़िरत के लिए जखीरह कर लो..✍
📬 अह्या उल उलूम जिल्द 3 सफह 275 📚
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🔐 हज़रत सय्यदुना हसन बसरी रहमतुल्ला अलैह के फरमान के मुताबिक मोमिन किसकी मिस्ल होता हैं...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ छोटी बकरी
📁Ⓑ📁 ➪ बड़ी गाय
📁Ⓒ📁 ➪ सीधी गाय
📁Ⓓ📁 ➪ सीधा शेर
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 🅰 ➪ छोटी बकरी
📃 तफ्सील 📃
📜☞ हजरत सय्यदुना हसन बसरी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है मोमिन छोटी बकरी की मिस्ल होता इसके लिये एक मुट्ठी पुरानी खजूरे सत्तू और एक घूंट पानी काफी होता हैं...✍
📬 अह्या उल उलूम जिल्द-3 सफह-275 📚
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🔐 फरमान ए मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के मुताबिक आसमानो में शोहरत रखने वाले बन्दे कोन है...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ इबादत करने वाले
📁Ⓑ📁 ➪ रोज़ा रखने वाले
📁Ⓒ📁 ➪ भूखे रहने वाले
📁Ⓓ📁 ➪ बीमार रहने वाले
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 © ➪ भूखे रहने वाले
📃 तफ्सील 📃
📜☞ फ़रमान ए मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम है दुनिया मे भूके रहने वाले लोगो की अरवाह को अल्लाह तआला खुद कब्ज़ फरमाता है ओर इनका हाल ये होता है के अगर गायब हो तो इन्हें तलाश नही किया जाता मौजूद हो तो पहचाने नही जाते दुनिया में पोशीदा होते है मगर आसमानो में इनकी शोहरत होती है जब जाहिल बे ईल्म शख्स इन्हें देखता है तो बीमार गुमान करता है जबकि वो बीमार नही होते बल्कि इन्हें अल्लाह तआला का ख़ौफ़ दामन गिर होता है क़यामत के दिन ये लोग अर्श के साये में होंगे जिस दिन इसके साये के अलावा कोई साया न होगा...✍
📬 मुसन्नद अल्फिरदोस जिल्द 1 सफह 235 हदीस 1659 📚
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🔐 सातवें आसमान के फरिश्ते जबसे पैदा किये गए है तब से सज़दे में हे किस वजह से...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ अल्लाह तआला की सना में
📁Ⓑ📁 ➪ अल्लाह तआला की इबादत में
📁Ⓒ📁 ➪ अल्लाह तआला के अज़ाब के खोफ़ से
📁Ⓓ📁 ➪ अल्लाह तआला के हुक्म की तामील से
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 © ➪ अल्लाह तआला के अज़ाब के खोफ़ से
📃 तफ्सील 📃
📜☞ हज़रते अल्लामा अबुल्लेस रहमतुल्लाहि तआला अलैह कहते हे कि सातवें आसमान पर अल्लाह तआला के ऐसे फरिश्ते है कि उन्हें अल्लाह ने जबसे पैदा किया है बराबर सज़दे में है और अल्लाह तआला के अज़ाब में इन्तेहाई ख़ौफ़ज़दा है कयामत के दिन सर उठाएंगे और कहेंगे ऐ अल्लाह तू पाक है हम तेरी कमा हक्कहु इबादत नही कर सके...✍
📬 मुकाशफतुल कुलूब बाब-2 सफह-35 📚
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🔐 जो शक्स इबादते इलाही पर सब्र करता हे और हर वक़्त इबादत में महव रहता हे उसे क़यामत के दिन अल्लाह तआला कितने दरज़ात अता करेगा...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 100 दरज़ात
📁Ⓑ📁 ➪ 200 दरज़ात
📁Ⓒ📁 ➪ 300 दरज़ात
📁Ⓓ📁 ➪ 400 दरज़ात
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 © ➪ 300 दरज़ात
📃 तफ्सील 📃
📜☞ जो शक्स इबादते इलाही पर सब्र करता हे और हर वक़्त इबादत में महव रहता हे उसे क़यामत के दिन अल्लाह तआला 300 ऐसे दरज़ात अता करेगा जिनमे हर दरजे का फासला जमीनों आसमान के फासले के बराबर होगा...✍
📬 मुकाशफतुल कुलूब बाब -3 सफह-41 📚
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🔐 फरमान ए मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के मुताबिक कितने साल अज़ान देने पर जन्नत वाज़िब हो जाती हैं...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 07 साल
📁Ⓑ📁 ➪ 09 साल
📁Ⓒ📁 ➪ 10 साल
📁Ⓓ📁 ➪ 12 साल
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 D ➪ 12 साल
📃 तफ्सील 📃
📜☞ हज़रत अब्दुल्ला बिन उमर रादिअल्लाहु तआला अन्हु बयान करते है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहु ने फरमाया जिसने बारह (12) बरस तक अज़ान दी तो इसके लिये जन्नत वाज़िब हो गई और इसके अज़ान के बदले में हर दिन में 60 नेकियाँ लिखी जाती है और हर तकबीर के बदले में 30/30 नेकियाँ लिखी जाती है (इब्ने माज़ा)..✍
📬 मिश्कात उल मसाबीह जिल्द-1 सफह-364 📚
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🅿🄾🅂🅃 ➫ 120
🕋 SαωαL 🕋
🔐 फरमान ए मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के मुताबिक सवाब की नीयत से कितने साल अज़ान देने वाले को जहन्नम से बरात (नजात) लिख दी जाती हैं...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 3 साल
📁Ⓑ📁 ➪ 5 साल
📁Ⓒ📁 ➪ 7 साल
📁Ⓓ📁 ➪ 9 साल
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 © ➪ 7 साल
📃 तफ्सील 📃
📜☞ हज़रत इब्ने अब्बास रादिअल्लाहु तआला अन्हु बयान करते की रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया जिसने सवाब की नियत से सात *"7"* साल तक अज़ान दी उसके लिए जहन्नम से बरात लिखी जाती है यानी जहन्नम से नजात उसके लिए लिखी जाती हैं(तिर्मिज़ी)...✍
📬 मिश्कात उल मसाबीह जिल्द-1 सफह-360 📚
✐°°•. नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू इंशाअल्लाह ::::::📮
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🔐 फरमान ए मुस्तफा हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के मुताबिक मोअज़्ज़िन को कितनी नमाज़ों का सवाब एक अज़ान पर मिलता है...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 10 नमाज़ों का
📁Ⓑ📁 ➪ 15 नमाज़ों का
📁Ⓒ📁 ➪ 25 नमाज़ों का
📁Ⓓ📁 ➪ 30 नमाज़ों का
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
🕋 Jαωαв 🕋
🔓 © ➪ 25 नमाज़ों का
📃 तफ्सील 📃
📜☞ हज़रत अबु हुरैरा रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत हैं कि रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया मोअज़्ज़िन की बख्शीश की जाती है इस कि आवाज की इन्तेहा तक और हर तर और हर खुश्क और हर नमाज़ में हाज़िर होने वाले इसके लिये शहादत देंगे और 25 नमाज़ों का सवाब इसके हक में लिखा जाता हैं ओर 2 नमाज़ों के दरमियान में किये हुये गुनाहों को माफ कर दिया जाता हैं (अबु दाऊद...✍
📬 मुश्कातुल मसबीह जिल्द 1 सफ़ह 360 📚
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🔐 बारिश के मौसम में जिस्म गिला करना क्या है...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ ना जाइज़ हैं
📁Ⓑ📁 ➪ मकरुह हैं
📁Ⓒ📁 ➪ सुन्नत हैं
📁Ⓓ📁 ➪ मुस्तहब हैं
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
🕋 Jαωαв 🕋
🔓 © ➪ सुन्नत हैं
📃 तफ्सील 📃
📜☞ बारिश के मौसम में जिस्म गिला करना सुन्नत है
📜☞ हज़रत अनस रज़िअल्लाहु अन्हु ने कहा हम रसुलुल्लाह सलल्लाहो अलैहे वसल्लम के साथ थे के बारिश होने लगी तो रसुलुल्लाह सलल्लाहो अलैहे वसल्ल ने अपना ( सर और कन्धे का कपड़ा ) खोल दिया हत्ता के बारिश का पानी आप पर आने लगी, हमने अर्ज़ किया ऐ रसुलुल्लाह सलल्लाहो अलैहे वसल्ल आप ऐसा क्यों कर रहे हैं ..?
📜☞ आपने फ़रमाया क्यों के नयी-नयी (सीधी) अपने रब की तरफ़ से आ रही हैं
⚠नोट ☞ अपने ताक़त के मुताबिक़ अमल करें अगर सर्दी, ज़ुख़ाम या बुख़ार आने का ख़दशा हो तो ना नहाना बेहतर है...✍
📬 सही मुस्लिम शरीफ जिल्द 2 हदीस 2083 📚
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🔐 फरमान ए मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के मुताबिक अज़ान देने वाले क़यामत के रोज इनमे से क्या होंगे....❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ रोशन चहरे वाले
📁Ⓑ📁 ➪ दिलकश आवाज़ वाले
📁Ⓒ📁 ➪ नूरी आंखों वाले
📁Ⓓ📁 ➪ लम्बी गरदन वाले
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 D ➪ लम्बी गरदन वाले
📃 तफ्सील 📃
📜☞ बारिश के मौसम में जिस्म गिला करना सुन्नत है
📜☞ हज़रत मआविया रादिअल्लाहु तआला अन्हू बयान करते है कि मैने रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम को ये फरमाते हुये सुना हे के अज़ान देने वाले क़यामत के रोज़ लम्बी गरदन वाले होंगे
लम्बी गरदन से मुराद ये हे मोअज़्ज़िन लोग क़यामत के दिन सरदार होंगे या मुकरबान इलाही होंगे...✍
📬 मिश्कात उल मसाबीह जिल्द सफ़ह 356 📚
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🔐 फरमान ए मुस्तफा हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के मुताबिक किस नमाज़ को पढ़ने वाला पूरी रात इबादत करने और नमाज़ पढ़ने का सवाब पाएगा..❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ नमाज ए ईशा
📁Ⓑ📁 ➪ नमाज ए तहज्जुद
📁Ⓒ📁 ➪ नमाज ए फजर
📁Ⓓ📁 ➪ नमाज ए चास्त
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 © ➪ नमाज ए फजर
📃 तफ्सील 📃
📜☞ हज़रत उस्मान रादिअल्लाहु तआला अन्हु से मरवी के रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया जिस ने ईशा की नमाज जमात से पढ़ी गोया इसने आधी रात तक क़याम किया "( यानी आधी रात तक नमाज़ पढ़ने का सवाब पाएगा )" और जिसने सुबह की नमाज़ जमात से अदा कि तो गोया इसने सारी रात का कयाम किया "( यानी पूरी रात की इबादत करने और नमाज़ पढ़ने का सवाब पाएगा"
📬 सहीह मुस्लिम किताबुल मसाजिद सफह-606 हदीस-1491 📚
भेजे गए इस तफसील से दो बातें मालूम होती है कि आधी रात इबादत और नमाज़ का सवाब किस नमाज़ को अदा करने से मिलता है और पुरी रात नमाज़ और इबादत करने का सवाल किस नमाज़ से पूछे गए सवाल के मुताबिक ही ऑप्शन्स बनाये गए थे
⚠नोट आज के तफसील को सवाल के मुताबिक समझे अगर समझ में न आये तो एडमिन के पर्सनल में संपर्क करे..✍
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🔐 नूर के पैकर तमाम नबियों के सरदार बुलबुले बाग ए मदीना सारे आलम के मालिकों मुख्तार हुजूर ए अकरम ﷺ कितनी चीजों से पनाह मागते थे ...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 03 चीजों से
📁Ⓑ📁 ➪ 05 चीजों से
📁Ⓒ📁 ➪ 04 चीजों से
📁Ⓓ📁 ➪ 02 चीजों से
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
🕋 Jαωαв 🕋
🔓 🅱 ➪ 05 चीजों से
📃 तफ्सील 📃
📜☞ हज़रते सय्यिदना अमर बिन मैमून رضي الله ﺗﻌﺎﻟﯽٰ عنه से रिवायत है की "अमीरुल मोमिनीन हज़रते सैय्यिदना उमर फ़ारूक़ ए आज़म رضي الله ﺗﻌﺎﻟﯽٰ عنه" ने इरशाद फ़रमाया
⚘❁☞ नूर के पैकर, तमाम नबियों के सरवर, बुलबुले बाग ए मदीना सरवरे आलम मालिकों मुख्तार, हुज़ूर ए अकरम ﷺ पांच ( 5 ) चीज़ों से पनाह मांगते थे👇🏻
❁1☞ बुज़दिली से
❁2☞ बुखल से
❁3☞ बुढ़ापे की वजह से अक्ल फसाद से
❁4☞ दिल के फ़ितने से
❁5☞ अज़ाब ए क़ब्र से...✍
📬 फैज़ान ए फ़ारूक़ ए आज़म, पेज 238 📚
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🔐 हुज़ूर عليه السلام ने फरमाया कि जिस उम्मत से खैर व बरकत जाया न होंगी ( यानी खत्म न होंगी ) जब तक कि वह _________ की ताज़ीम करती रहेंगी...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ वालिदैन की
📁Ⓑ📁 ➪ मस्ज़िद की
📁Ⓒ📁 ➪ हरेमे मक्का की
📁Ⓓ📁 ➪ बैतुल मुक़द्दस की
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 © ➪ हरेमे मक्का की
📃 तफ्सील 📃
📜☞ हज़रते अयाश बिन आबि रबी'अ मखजूमी رضي الله تعالى عنه फरमाते हैं कि सरकार दो आलम صلى الله عليه وآله وسلّم ने फ़रमाया कि इस उम्मत से खैरो बरकत जाईल न होगी जब तक की यह हरमे मक्का की ,ताजीम करती रहेगी जैसा कि उसकी ता'जीम का हक़्क़ है और जब उस की ता'जीम को छोड़ देगी तो हलाक़ हो जाएगी,
⚘❁☞ सरकारे मदीना صلى الله عليه وآله وسلّم के प्यारे दीवानो मज़कुरा हदीस से मालूम हुवा कि हरमे मक्का कि त'जीम के सबब अल्लाह عزوجل खैर -ओ-बरकत नाज़िल फ़रमाता रहेंगा
⚘❁☞ आज बहुत से कम इल्म हरमे मक्का के मक़ाम व मर्तबे को न जानने कि वजह से उसका एहतेराम जैसा करना चाहिए वैसा नहीं करते, चिल्ला चिल्ला कर दुनियावी बातें करते है, यह गलतियाँ हरमे मक्का में दौराने तवाफ़ करते नज़र आते है...✍
📬 मिश्कात शरीफ सफ़ह न.238📔
📬 बरकते शरी'यत ,हज का बयान सफा न. 294 📚
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🔐 फरमाने नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के मुताबिक़ इनमें से किस के पास खैरो बरक़त नही...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ जिस में वालिदैन कि ख़िदमत गुज़री नही
📁Ⓑ📁 ➪ जिस में मेहमान नवाजी नही
📁Ⓒ📁 ➪ जिस के पास कोई औलाद नही
📁Ⓓ📁 ➪ जिस में कोई इल्म नहीं
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 🅱 ➪ जिस में मेहमान नवाजी नही
📃 तफ्सील 📃
📜☞ हुज़ूर नबी ए करीम صلى الله عليه وآله وسلّم का फरमाने आलीशान है कि मेहमान के लिए तकलीफ न करो तुम इसे दुश्मन समझोगे और जिस ने इसे दुश्मन समझा इस ने अल्लाह عزوجل को दुश्मन समझा और जिस ने अल्लाह عزوجل को दुश्मन समझा अल्लाह عزوجل ने इसे दुश्मन समझा
⚘❁☞ फरमाने मुस्तफ़ा صلى الله عليه وآله وسلّم है कि उस शख्स के पास खैरो बरकत नही जिस में मेहमान नवाज़ी नही हुज़ूर عليه السلام का एक ऐसे शख्स के पास से गुज़र हुवा जिस के पास बहुत से ऊंट और गायें थी मगर इस ने मेहमानी नही की और हुज़ूर का ऐसी औरत के पास छोटी छोटी बकरियां थी उस ने हुज़ूर عليه السلام के लिए एक बकरी ज़िबह की तब आप ने फरमाया इन दो को देखो अल्लाह عزوجل के दस्ते अक़दस में अख़लाक़ है
⚘❁☞ हज़रत अबु रफ़ी जो हुज़ूर صلى الله عليه وآله وسلّم के गुलाम थे फरमाते है कि हुज़ूर के यहां एक मेहमान उतर तो हुज़ूर صلى الله عليه وآله وسلّم ने फरमाया जाओ फलां यहूदी से कहो कि मेरा मेहमान आया है मुझे माहे रजब तक कुछ आता भेज दो यहूदी ये पैगाम सुन कर बोला बा-खुदा मैं उस को कुछ नही दुंगा मगर ये कुछ रेहान रखा जाए मैंने जा कर हुज़ूर صلى الله عليه وآله وسلّم को खबर दी अपने फरमाया मैं आसमानो में अमीन हुँ ज़मीन में अमीन हुँ अगर वो मुझे उधार देता है तो मैं ज़रूर अदा कर देता जाओ मेरी ज़िरह ले जाओ और उसके पास रेहान रख दो....✍
📬 मुक़ाशीफतुल कुलुब सफहा न. 651 📚
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🔐 फरमान ए मुस्तफा हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के मुताबिक मोअज़्ज़िन को कितनी नमाज़ों का सवाब एक अज़ान पर मिलता है....❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 10 नमाज़ों का
📁Ⓑ📁 ➪ 15 नमाज़ों का
📁Ⓒ📁 ➪ 25 नमाज़ों का
📁Ⓓ📁 ➪ 30 नमाज़ों का
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 © ➪ 25 नमाज़ों का
📃 तफ्सील 📃
📜☞ हज़रत अबु हुरैरा रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत हैं कि रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया मोअज़्ज़िन की बख्शीश की जाती है इस कि आवाज की इन्तेहा तक और हर तर और हर खुश्क और हर नमाज़ में हाज़िर होने वाले इसके लिये शहादत देंगे और 25 नमाज़ों का सवाब इसके हक में लिखा जाता हैं ओर 2 नमाज़ों के दरमियान में किये हुये गुनाहों को माफ कर दिया जाता हैं (अबु दाऊद...✍
📬 मुश्कातुल मसबीह जिल्द 1 सफ़ह 360 📚
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🔐 फरमान ए मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के मुताबिक सवाब की नीयत से कितने साल अज़ान देने वाले को जहन्नम से बरात (नजात) लिख दी जाती हैं....❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 3 साल
📁Ⓑ📁 ➪ 5 साल
📁Ⓒ📁 ➪ 7 साल
📁Ⓓ📁 ➪ 9 साल
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 © ➪ 7 साल
📃 तफ्सील 📃
📜☞ हज़रत इब्ने अब्बास रादिअल्लाहु तआला अन्हु बयान करते की रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया जिसने सवाब की नियत से सात *"7"* साल तक अज़ान दी उसके लिए जहन्नम से बरात लिखी जाती है यानी जहन्नम से नजात उसके लिए लिखी जाती हैं(तिर्मिज़ी)...✍
📬 मिश्कात उल मसाबीह जिल्द-1 सफह-360 📚
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🔐 फरमान ए मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के मुताबिक कितने साल अज़ान देने पर जन्नत वाज़िब हो जाती हैं.....❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 07 साल
📁Ⓑ📁 ➪ 09 साल
📁Ⓒ📁 ➪ 10 साल
📁Ⓓ📁 ➪ 12 साल
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 D ➪ 12 साल
📃 तफ्सील 📃
📜☞ हज़रत अब्दुल्ला बिन उमर रादिअल्लाहु तआला अन्हु बयान करते है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहु ने फरमाया जिसने बारह (12) बरस तक अज़ान दी तो इसके लिये जन्नत वाज़िब हो गई और इसके अज़ान के बदले में हर दिन में 60 नेकियाँ लिखी जाती है और हर तकबीर के बदले में 30/30 नेकियाँ लिखी जाती है (इब्ने माज़ा)..✍
📬 मिश्कात उल मसाबीह जिल्द-1 सफह-364 📚
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🔐 जो शक्स इबादते इलाही पर सब्र करता हैं और हर वक़्त इबादत में मशरूफ रहता है उसे क़यामत के दिन अल्लाह तआला कितने दरज़ात अता करेगा...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 100 दरज़ात
📁Ⓑ📁 ➪ 200 दरज़ात
📁Ⓒ📁 ➪ 300 दरज़ात
📁Ⓓ📁 ➪ 400 दरज़ात
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 © ➪ 300 दरज़ात
📃 तफ्सील 📃
📜☞ जो शक्स इबादते इलाही पर सब्र करता हे और हर वक़्त इबादत में महव रहता हे उसे क़यामत के दिन अल्लाह तआला 300 ऐसे दरज़ात अता करेगा जिनमे हर दरजे का फासला जमीनों आसमान के फासले के बराबर होगा...✍
📬 मुकाशफतुल कुलूब बाब -3 सफह-41 📚
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🔐 सातवें आसमान के फरिश्ते जबसे पैदा किये गए है तब से सज़दे में किस वजह से हैं...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ अल्लाह तआला की सना में
📁Ⓑ📁 ➪ अल्लाह तआला की इबादत में
📁Ⓒ📁 ➪ अल्लाह तआला के अज़ाब के खोफ़ से
📁Ⓓ📁 ➪ अल्लाह तआला के हुक्म की तामील से
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 © ➪ अल्लाह तआला के अज़ाब के खोफ़ से
📃 तफ्सील 📃
📜☞ हज़रते अल्लामा अबुल्लेस रहमतुल्लाहि तआला अलैह कहते हे कि सातवें आसमान पर अल्लाह तआला के ऐसे फरिश्ते है कि उन्हें अल्लाह ने जबसे पैदा किया है बराबर सज़दे में है और अल्लाह तआला के अज़ाब में इन्तेहाई ख़ौफ़ज़दा है कयामत के दिन सर उठाएंगे और कहेंगे ऐ अल्लाह तू पाक है हम तेरी कमा हक्कहु इबादत नही कर सके...✍
📬 मुकाशफतुल कुलूब बाब-2 सफह-35 📚
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🅿🄾🅂🅃 ➫ 133
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🔐 बारिश के मौसम में जिस्म गिला करना क्या ..❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ ना जाइज़ हैं
📁Ⓑ📁 ➪ मकरुह हैं
📁Ⓒ📁 ➪ सुन्नत हैं
📁Ⓓ📁 ➪ मुस्तहब हैं
📎🅔📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔓 © ➪ सुन्नत हैं
📃 तफ्सील 📃
📜☞ बारिश के मौसम में जिस्म गिला करना सुन्नत है
📜☞ हज़रत अनस रज़िअल्लाहु अन्हु ने कहा हम रसुलुल्लाह सलल्लाहो अलैहे वसल्लम के साथ थे के बारिश होने लगी तो रसुलुल्लाह सलल्लाहो अलैहे वसल्ल ने अपना ( सर और कन्धे का कपड़ा ) खोल दिया हत्ता के बारिश का पानी आप पर आने लगी, हमने अर्ज़ किया ऐ रसुलुल्लाह सलल्लाहो अलैहे वसल्ल आप ऐसा क्यों कर रहे हैं ..?
📜☞ आपने फ़रमाया क्यों के नयी-नयी (सीधी) अपने रब की तरफ़ से आ रही हैं
⚠नोट अपने ताक़त के मुताबिक़ अमल करें अगर सर्दी, ज़ुख़ाम या बुख़ार आने का ख़दशा हो तो ना नहाना बेहतर है...✍
📬 सही मुस्लिम शरीफ जिल्द 2 हदीस 2083 📚
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🔐 हुज़ूर नबी ए करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने कितने जानवरो को मारने की ताकीद फरमाई हैं ...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 05 जानवर
📁Ⓑ📁 ➪ 03 जानवर
📁Ⓒ📁 ➪ 06 जानवर
📁Ⓓ📁 ➪ 08 जानवर
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 05 जानवर
📁Ⓑ📁 ➪ 03 जानवर
📁Ⓒ📁 ➪ 06 जानवर
📁Ⓓ📁 ➪ 08 जानवर
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🏐©🏐 06 जानवर
💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने छः किस्म के जानवरो को मारने की ताकिद फरमाई है
📃•➤ ① काट खाने वाला कुत्ता
📃•➤ ② चूहा
📃•➤ ③ बिच्छू
📃•➤ ④ चील
📃•➤ ⑤ कव्वा
📃•➤ ⑥ साँप
📬 मख्ज़ने मालुमात सफह 115 📚
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🔐 कितने अंबिया व मुरसलीन पर आसमानी क़िताबें नाज़िल हुई...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 04 अंबिया व मुरसलीन
📁Ⓑ📁 ➪ 06 अंबिया व मुरसलीन
📁Ⓒ📁 ➪ 08 अंबिया व मुरसलीन
📁Ⓓ📁 ➪ 10 अंबिया व मुरसलीन
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ वो अंबिया व मुरसलीन ये हैं। जिन पर आसमानी किताबें नाज़िल हुई।
📃•➤ ① हज़रत आदम अलैहिस्सलाम
📃•➤ ② हज़रत शीस अलैहिस्सलाम
📃•➤ ③ हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम
📃•➤ ④ हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम
📃•➤ ⑤ हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम
📃•➤ ⑥ हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम
📃•➤ ⑦ हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम
📃•➤ ⑧ हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम..✍
📬 इस्लामी हैरत अंगेज मालूमात सफ़ह 24 📚
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🔐 वहीं का नुज़ूल कितने तरीकों से हुआ करता था...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 03 तरीकों से
📁Ⓑ📁 ➪ 02 तरीकों से
📁Ⓒ📁 ➪ 05 तरीकों से
📁Ⓓ📁 ➪ 01 तरीकों से
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ वही इन पाँच तरीकों में से किसी एक तरीक़े से नाज़िल होती थी।
■1☞ घंटी की आवाज़ के साथ,
■2☞ जिब्राईल अलैहिस्सलाम किसी इंसानी शक़्ल में आ कर,
■3☞ जिब्राईल अलैहिस्सलाम अपनी असली सूरत में आ कर,
■4☞ बराहेरास्त औऱ बिला वास्ता अल्लाह तआला से हमकलामी,
■5☞ जिब्राईल अलैहिस्सलाम किसी भी सूरत में बग़ैर सामने आए कल्बे मुबारक़ में "वही" इलका कर देना।...✍
📬 अल इतकान फी उलूमुल ज़िल्द 1 सफ़ह 58 📚
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🔐 इल्म की चाबी क्या हैं। ....❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ क़िताब
📁Ⓑ📁 ➪ उलेमा
📁Ⓒ📁 ➪ सवाल
📁Ⓓ📁 ➪ तरबियत
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🏐©🏐 सवाल
💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ सवाल करना इल्म में इज़ाफ़े का बाइस हैं। लिहाज़ा जिस चीज़ों का इल्म न हो इस के मुताल्लिक़ आलिम से पूछना चाहिए औऱ इल्म सीखने के लिए सवाल पूछने से शर्माना नही चाहिए न ही ये सोचना चाहिए के लोग क्या कहेंगें की इसे इतनी बुनियादी बात भी मालूम नही।
📃■☞ चुनांचे हज़रत सैय्यदना अब्दुल्लाह बिन मसऊद रादिअल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं। इल्म में ज्यादती तलाश से औऱ वक़फीत सवाल से होती हैं तो जिसका तुम्हें इल्म न हो उसके बारे में जानो औऱ जो कुछ जानते हो इसके बारे में अमल करो।
📃■☞ हज़रते सैय्यदना इमाम उम्मीए अलैहि रहमतुल्लाह से किसी ने अर्ज़ की - आपने इतना इल्म किस तरह हासिल किया - फ़रमाया सवालात की कसरत औऱ एहम बातों को अच्छी तरह याद करने से...✍
📬तज़किरा अमीरे अहले सुन्नत किस्त 8📚
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🔐 हमबिस्तरी (शोहवत) से पहले बिस्मिल्लाह पढना कैसा....❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ जाइज़ हैं।
📁Ⓑ📁 ➪ शख़्त गुनाह हैं।
📁Ⓒ📁 ➪ जाइज़ नही ये गुमराही हैं।
📁Ⓓ📁 ➪ उस वक़्त न पढ़ना बेहतर हैं।
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ बीवी से हमबिस्तरी करने से पहले बिस्मिल्लाह पढना जाइज़ हैं। मुस्तहसन है। बिस्मिल्लाह पढ़ने का शरीअत ए मुतह्हरा में हुक़्म आया है आला हज़रत इमाम ए अहले सुन्नत अश्शाह इमाम अहमद रज़ा कादरी फ़रमाते हैं जो बगैर बिस्मिल्लाह औरत के पास जाये उसकी औलाद में शैतान का साझा होता है। हदीस में ऐसो को मघ्रबीन फ़रमाया है। यानि जो इंसान और शैतान के मजमूई नुत्फे से बनता है।...✍
📬 अल’मलफ़ूज़ शरीफ हिस्सा 2 सफा 92 📚
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🔐 तक़दीर की कितनी किस्में हैं।...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 02 किस्में
📁Ⓑ📁 ➪ 03 किस्में
📁Ⓒ📁 ➪ 04 किस्में
📁Ⓓ📁 ➪ 05 किस्में
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🏐🅱🏐 03 किस्में
💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ तकदीर की तीन किस्में हैं।
❍1❍ मुब्रमे हक़ीक़ी
❍2❍ मुअल्लके महज़
❍3❍ मुअल्लके शबीह बिह मुब्रम।
📃■☞ पहली किस्म यानी मुब्रमे हक़ीक़ी वोह होती है जो इल्मे इलाही में किसी शै पर मुअल्लक नहीं।
📃■☞ दूसरी किस्म यानी मुअल्ल्के महज़ वोह होती है जिस का मलाइका के सहीफ़ों में किसी शै पर मुअल्लक होना ज़ाहिर फ़रमा दिया गया हो।
📃■☞ तीसरी किस्म यानी मुअल्लके शबीह बिह मुब्रम वोह होती है जिस का मलाइका के सहीफों में मुअल्लक होना जाहिर न फरमाया गया हो मगर इल्मे इलाही में किसी शै पर मुअल्लक हो।
📃■☞ तक़दीर की पहली किस्म मुब्रमे हक़ीक़ी को बदलना ना मुमकिन हैं। अल्लाह तआला के महबूब बन्दे अकाबिरीन भी इत्तिफ़ाकन इस में कुछ अर्ज करते हैं तो उन्हें इस ख़याल से रोक दिया जाता है जब कौमे लूत पर फ़िरिश्ते अज़ाब लेकर आए थे तो सय्यदुन इब्राहीम खलीलुल्लाह ने उन काफिरों के बारे में इतनी कोशिश की, कि अपने रब से झगड़ने लगे। अलाह तआला ने कुरआने करीम में येह बात इरशाद फ़रमाई कि "हम से झगड़ने लगा कौमे लूत के बारे में।
📃■☞ और दूसरी किस्म ज़ाहिर क़ज़ाए मुअल्लक़ है, इस तक अक्सर औलिया की रसाई होती है, उन की दुआ से उन की हिम्मत से टल जाती है।
📃■☞ और तीसरी किस्म मुअल्लक़ शबीह बिह मूब्रम मुतवस्सीत हालत में है, उस तक ख्वास अकाबिर की रसाई होती है। हुज़ीर गौषे आज़म इसी को फरमाते है। में क़ज़ाए मूब्रम को रद कर देता हूँ और इसी की निस्बत हदीस में इरशाद हुवा बेशक दुआ क़ज़ाए मूब्रम को टाल देती है।..✍
📬 बुन्यादी अक़ाइद और मामुलात 📚
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🔐 सूद लेने वाले शक़्स को आख़िरत में किस चीज़ से अज़ाब है।...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ आग से
📁Ⓑ📁 ➪ पत्त्थर से
📁Ⓒ📁 ➪ लोहा से
📁Ⓓ📁 ➪ सोना से
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🏐🅱🏐 पत्थर से
💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ समुरा बिन जुन्दब रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया रात में मैने दो आदमी देखे वो दोनो मेरे पास आए और मुझे बैत-उल-मुक़द्दस में ले गये फिर हम सब वहाँ से चले यहाँ तक के हम एक खून की नहर पर आए वहाँ एक शख्स (नहर के किनारे पर) खड़ा हुआ था और नहर के बीच में भी एक शख्स खड़ा हुआ था .(नहर के किनारे) खड़े होने वाले के सामने पत्थर पढ़े हुए थे, बीच नहर वाला आदमी आता और जैसे ही वो चाहता की वो बाहर निकल आए तो बाहर वाला शख्स उसके मुँह पर पत्थर खींच कर मारता और वो जहाँ था वही फिर लौट जाता, मैने अपने साथियों से पूछा की ये क्या है तो उन्होने उसका जवाब ये दिया की नहर में तुमने जिस शख्स को देखा वो सूद खाने वाला इंसान है।
📬 सहीह बुखारी, जिल्द 3, 2085 📔
📃■☞ जाबिर रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने लानत की है सूद (ब्याज) लेने वाले पर और सूद देने वाले पर , और सूद लिखने वाले पर और सूद के गवाहों पर और फरमाया वो सब बराबर हैं।...✍
📬 सहीह मुस्लिम, जिल्द 4, 4093 📚
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🔐 जिस औरत के जिना का हमल हो उससे निक़ाह करना कैसे....❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ जिना औरत से निक़ाह करना शख़्त नाजाइज़ व हराम हैं।
📁Ⓑ📁 ➪ जिना औरत से निक़ाह होंगा ही नही उससे ताल्लुक़ रखना भी जिना होंगा
📁Ⓒ📁 ➪ जिना औरत से निक़ाह जाइज़ हैं।
📁Ⓓ📁 ➪ जिना औरत से निक़ाह करने वाला ईमान से खारिज़ हो गया
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🏐©🏐 जिना औरत से निक़ाह जाइज़ हैं।
💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ जानिया हामिला यअनी वह औरत जो बिना निक़ाह किये ही गर्भवती हो गई उससे निक़ाह को कुछ लोग नाजाइज़ समझते हैं। हालांकि वह जाइज़ हैं जिना इस्लाम मे बहुत बड़ा गुनाह हैं औऱ इसकी सजा बहुत शख़्त हैं लेकिन अगर किसी औरत से जिनाकारी सरज़द हुई उससे निक़ाह किया जाए तो निक़ाह सही हो जाएगा ख्वाह वह जिना से हामिला हो गई हो जबकि वह औरत शौहर वाली न हो औऱ निकाह अगर उसी शक़्स से हो जिसका हमल हैं तो निक़ाह के बाद वो दोंनो साथ मे रह सकते हैं सुहबत या हमबिस्तरी भी कर सकते हैं औऱ किसी दूसरे से निकाह हो तो जब तक बच्चा पैदा न हो जाये दोनों लोगों को अलग अलग रखा जाए औऱ उनके लिए हमबिस्तरी जाइज़ नही।
📃■☞ इमाम ए अहले सुन्नत सैय्यदी आला हजरत फ़रमाते हैं जो औरत मआज़ल्लाह जिना से हामिला हो उससे निक़ाह सही है ख्वाह उस जानी से हो या दूसरे से फ़र्क़ इतना हैं अगर जानी से निक़ाह हो तो बाद ए निक़ाह उससे कुर्बत भी कर सकता हैं औऱ गैर जानी से हो तो वजए हमल तक ( बच्चा पैदा होने तक ) कुर्बत न करें।...✍
📬 फतावा रजविया ज़िल्द 5 सफ़ह 166 📚
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🔐 जिस वुज़ू से नमाज़ ए जनाज़ा पढ़ी गई हो उस वुज़ू से फ़र्ज़ नफ़्ल या सुन्नत नमाज़ पढ़ना कैसा.❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ जाइज़ हैं।
📁Ⓑ📁 ➪ नाजाइज़ हैं।
📁Ⓒ📁 ➪ मकरुह हैं।
📁Ⓓ📁 ➪ मकरुहे तेहरिमी हैं।
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ कुछ जगहों पर लोग समझते है कि जिस वुज़ू से नमाज़ ए जनाज़ा पढ़ी हो उससे दूसरी नमाज़ नही पड़ी जा सकती हालांकि यह गलत औऱ बे-असल बात हैं बल्कि इसी वुज़ू से फ़र्ज़ हो या सुन्नत व नफ़्ल हर नमाज़ पढ़ना ठीक हैं।...✍
📬 ग़लत फहमियां औऱ उनकी इस्लाह सफ़ह 19 📚
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🔐 ख़रीद व फारोख्त में नगद औऱ उधार की क़ीमत अलग अलग रखना कैसा...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ ख़रीद व फारोख्त में ऐसा करना नाजाइज़ हैं।
📁Ⓑ📁 ➪ ख़रीद व फारोख्त के वक़्त इस मामले की मालूमात ख़रीददार को हो तो जाइज़ हैं।
📁Ⓒ📁 ➪ ख़रीददार काफ़िर हो तो जाइज़ मुसलमान के लिए नाजाइज़
📁Ⓓ📁 ➪ ख़रीद व फारोख्त की सभी सूरतों में ऐसा करना सूद व हराम हैं।
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ अगर कोई शख्स अपना माल किसी के हाथ बेचे औऱ यह कहे कि अगर अभी क़ीमत अदा कर दोंगे तो इतने में औऱ उधार ख़रीदोंगे तो इतने पैसे में मसलन अभी 300 सौ रुपये उधार ख़रीदोंगे पैसे बाद में अदा करोंगे तो 350 रुपये देना होंगा तो यह जाइज़ हैं। इसको कुछ लोग नाजाइज़ ख़्याल करते हैं औऱ सूद समझते हैं यह उनकी गलतफहमी हैं ये सूद नही हैं।
📃■☞ हा अगर खरीददारी के वक़्त इस बात को खोला नही औऱ माल 300 रूपये में फ़रोख़्त कर दिया औऱ रक़म अदा करने में उसने देर की तो उससे पैसे बढ़ा कर उसूल किये मसलन 350 रुपये लिया तो अब ये सूद होंगा मतलब ये है कि उधार औऱ नगद का भाव अलग अलग हो तो खरीदारी के वक़्त ही इसकी वज़ाहत कर दे बाद में उधार की वजह से पैसे बढ़ा कर लेना सूद औऱ हराम हैं।...✍
📬फतावा रजविया ज़िल्द 17 सफ़ह 67📒
📬फतावा फजूरर्सूल ज़िल्द 2 सफ़ह 390📚
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🔐 ख़रीद व फारोख्त में जो पैसे बैआने (एडवांस) के तौर पर लिए गए हो उन पैसों को दुकानदार का वापस न करना कैसा...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ ख़रीद व फारोख्त में लिया गया ये पैसा जाइज़ हैं। दुकानदार रख सकता हैं।
📁Ⓑ📁 ➪ ख़रीद व फारोख्त के वक़्त इस मामले की मालूमात ख़रीददार को हो तो जाइज़ हैं।
📁Ⓒ📁 ➪ वापस कर देना मुस्तहब हैं। रख भी लिया अगर तो कोई हर्ज़ नही
📁Ⓓ📁 ➪ ख़रीद व फारोख्त में लिया गया एडवांस रखना दुकानदार को जाइज़ नही
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🏐D🏐 ख़रीद व फारोख्त में लिया गया एडवांस रखना दुकानदार को जाइज़ नही
💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ आज कल ऐसा होता हैं कि एक शख्स कोई माल ख़रीदता है औऱ बेचने वाले को कुछ पेशगी देता हैं जिसको बैआना कहते हैं। फिर किसी वजह से वह माल लेने से इन्कार कर देता हैं तो बेचने वाला ख़रीददार को बैआने की रकम वापस नही करता हैं बल्कि जब्त कर लेता हैं औऱ पहले से ये तय कर लिया जाता हैं कि अगर सौदा न खरीदा तो बैआना जब्त कर लेंगे यह बैआना जब्त करना शरअ के मुताबिक़ मना है और बैआना की रकम उसके लिए हलाल नही बल्कि हराम हैं।
📃■☞ आला हजरत फ़रमाते हैं बैआना आज कल तो यूं होता हैं कि अगर ख़रीददार बाद ए बैआना देने के न ले तो बैआना ज़ब्त औऱ ये कतअन हराम हैं।
📬 अलमलफूज हिस्सा 3 सफ़ह 27 📒
📃■☞ हा अगर बैअ तमाम हो ली थी औऱ बिला किसी शरई वजह के ख़रीददार ख़्वामख्वाह खरीदने से फिरता हैं तो बेचने वाले को हक़ हासिल हैं कि वो बैअ को लाज़िम जाने और माल उसके हवाले करें औऱ क़ीमत उससे हासिल करे ख्वाह काज़ी व हाकिम या पंचायत वग़ैरह से मदद ले लेकिन उसको माल न देना फिर उसकी रक़म वापस न देना हराम हैं।
📃■☞ आला हजरत फ़रमाते हैं बैअ न होने की हालत में बैआना जब्त कर लेना जैसा कि जाहिलों में रिवाज़ है जुल्म सरीह हैं। (खुला हुआ ज़ुल्म हैं।)
📃■☞ मज़ीद फ़रमाते हैं यह कभी न होंगा कि बैअ को फस्ख (रद्द) हो जाना मानकर माजीअ (सौदा) ज़ैद को न दे औऱ उसके रुपये इस जुर्म कि तू क्यों फिर गया जब्त कर ले।
📬 फतावा रजविया ज़िल्द 7 सफ़ह 7 📚
📃■☞ भाईयों हराम खाने से बचों सुकून व चैन जिसे अल्लाह देता हैं दौलत व पैसे से नही। आपने बहुत से मालदारों को बेचैन व परेशान देखा होंगा औऱ बहुत से ग़रीबों को चैन व सुकून से आराम से सोते देखा होंगा औऱ असली चैन की जगह को जन्नत हैं।...✍
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🔐 🛀 ग़ुस्ल करते वक़्त कलमा या दुरुद शऱीफ पढ़ना कैसा...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ जाइज़ हैं।
📁Ⓑ📁 ➪ सुन्नत हैं।
📁Ⓒ📁 ➪ मुस्तहब है।
📁Ⓓ📁 ➪ मना व ख़िलाफ़े सुन्नत हैं।
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🏐D🏐 मना व ख़िलाफ़े सुन्नत हैं।
💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ ग़ुस्ल करते वक़्त कलमा -व- दरूद शरीफ पढना मना और ख़िलाफ़े सुन्नत है के उस वक़्त किसी क़िस्म का कलाम करने और दुआ पढ़ने की भी इजाज़त नही।
📃■☞ हज़ूर सदृषशारियाः अलैहि रहमत-ओ-रिद्वान तेहरीर फ़रमाते है। "(ग़ुस्ल में सुन्नत ये है के) किसी क़िस्म का कलाम न करे, न कोई दुआ पढ़ें...✍
📬 बहारे शरी'अत ,हिस्सा-2, सफ़ह-37 📚
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🔐 क़ुरआन ए करीम का हाथ से छूट जाना या आलमारी वग़ैरह से गिर जाए तो क्या हुक़्म होंगा...
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ उसके वज़न के बराबर अनाज़ सदक़ा करें
📁Ⓑ📁 ➪ कोई हर्ज व गुनाह नही
📁Ⓒ📁 ➪ गुनाहगार होंगे तौबा लाज़िम हैं।
📁Ⓓ📁 ➪ एक ख़ात्मे क़ुरआन पढना उसका कफ़्फ़ारा होंगा
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ क़ुरआन क़रीम हाथ या आलमारी से गिर जाए तो कुछ लोग उसको तोल कर बराबर वज़न का आटा चावल वग़ैरह ख़ैरात करते है औऱ उस ख़ैरात को उसका कफ़्फ़ारा ख़्याल करते हैं यह उनकी गलतफहमी हैं।
📃■☞ क़ुरआने क़रीम जानबूझ कर गिरा देना या फेंक देना तो बहुत ही ज्यादा बुरा काम है किसी भी मुसलमान से इसकी उम्मीद नही की जा सकती की वह ऐसा करेंगा औऱ जो तौहीन व तहक़ीर के लिए ऐसा करेगा तो वह खुला काफ़िर हैं तौबा करें फिर से कालिमा पढ़े निक़ाह हो गया तो फिर से निकाह करें।
📃■☞ लेकिन अगर धोखे से भूल में क़ुरआने शऱीफ हाथ से छूट गया या आलमारी वग़ैरह से गिर गया तो उस पर कोई गुनाह नही हैं। भूल चूक माफ़ हैं लेकिन फ़िर भी अगर बातौरे ख़ैरात कुछ राहे ख़ुदा में ख़र्च कर दे तो अच्छी बात हैं औऱ निहायत मुनासिब ब बेहतर हैं लेकिन क़ुरआन शऱीफ को तोलना औऱ उसके वज़न के बराबर कोई चीज़ ख़ैरात करना औऱ उस खैरात को कफ़्फ़ारा समझना नासमझी औऱ बेइल्मी हैं क़ुरआन क़रीम तो तौलने औऱ वजन के बराबर सदका करने का इस्लाम मे कोई हुक़्म नही हैं क़ुरआन व हदीस औऱ फ़िक़्ह की क़िताबों में कही ऐसा हुक़्म नही आया हैं हा सदक़ा औऱ खैरात एक उम्दा काम हैं लिहाज़ा जो कुछ आपसे हो सके थोड़ा या ज्यादा राहे ख़ुदा में ख़र्च कर दे सवाब मिलेगा औऱ नही किया तब भी गुनाह व अज़ाब नही होंगा...✍
📬 ग़लत फहमियां औऱ उनकी इस्लाह सफ़ह 166-167
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🔐 वहीं का नुज़ूल कितने तरीकों से हुआ करता था...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 03 तरीकों से
📁Ⓑ📁 ➪ 02 तरीकों से
📁Ⓒ📁 ➪ 05 तरीकों से
📁Ⓓ📁 ➪ 01 तरीकों से
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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©🏐 05 तरीक़ों से
💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ वही इन पाँच तरीकों में से किसी एक तरीक़े से नाज़िल होती थी।
■1☞ घंटी की आवाज़ के साथ,
■2☞ जिब्राईल अलैहिस्सलाम किसी इंसानी शक़्ल में आ कर,
■3☞ जिब्राईल अलैहिस्सलाम अपनी असली सूरत में आ कर,
■4☞ बराहेरास्त औऱ बिला वास्ता अल्लाह तआला से हमकलामी,
■5☞ जिब्राईल अलैहिस्सलाम किसी भी सूरत में बग़ैर सामने आए कल्बे मुबारक़ में "वही" इलका कर देना।...✍
📬 अल इतकान फी उलूमुल ज़िल्द 1 सफ़ह 58 📚
💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ वही इन पाँच तरीकों में से किसी एक तरीक़े से नाज़िल होती थी।
■1☞ घंटी की आवाज़ के साथ,
■2☞ जिब्राईल अलैहिस्सलाम किसी इंसानी शक़्ल में आ कर,
■3☞ जिब्राईल अलैहिस्सलाम अपनी असली सूरत में आ कर,
■4☞ बराहेरास्त औऱ बिला वास्ता अल्लाह तआला से हमकलामी,
■5☞ जिब्राईल अलैहिस्सलाम किसी भी सूरत में बग़ैर सामने आए कल्बे मुबारक़ में "वही" इलका कर देना।...✍
📬 अल इतकान फी उलूमुल ज़िल्द 1 सफ़ह 58 📚
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🔐 कमसिन ( ना समझ ) बच्चों को मस्ज़िद में ले जाना कैसा...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ नाजाइज़ व गुनाह हैं।
📁Ⓑ📁 ➪ बा-वुज़ू लेकर जाएं जाइज़ हैं।
📁Ⓒ📁 ➪ नमाज़ में बच्चों की सफ़ में खड़ा करें कोई हर्ज़ नही
📁Ⓓ📁 ➪ कोई हर्ज़ नही यहाँ तक के नमाज़ में अपने बग़ल में भी खड़ा कर लें
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🏐🅰🏐 ना जाइज़ व गुनाह हैं।
💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ ज्यादा छोटे ना समझ कमसिन बच्चों का मस्जिद में आना या उन्हें लाना शरअन नापसंदीदा नाजाइज़ व मकरुह हैं। कुछ लोग औलाद से बे जा मुहब्बत करने वाले नमाज़ के लिए मस्जिद में आते हैं। तो अपने साथ कमसिन बच्चों को भी लाते हैं। यहाँ तक के बाज़ लोग उन्हें अगली सफों में अपने बराबर नमाज़ में खड़ा कर लेते हैं। यह तो निहायत गलत बात हैं। पिछली सफों के सारे नमाज़ी की नमाज़ मकरुह होती हैं। औऱ उनका गुनाह उस लाने और बगल में खड़ा कराने वाले पर है। औऱ उन पर जो उससे हत्तल मकदूर मना न करें। हां जो समझदार , होशियार बच्चें हो नमाज़ के आदाब से वाकिफ़ पाकी औऱ नापाकी को जानते हो उनको आना चाहिए और उनकी सफ़ मस्जिद में बालिग मर्दों के पीछे होना चाहिए औऱ ज्यादा छोटे जो नमाज़ को भी एक तरह का खेल समझते हैं औऱ मस्जिद में शोर मचाते खुद भी नही पढ़ते औऱ दूसरों की भी नमाज़ खराब करते हैं ऐसे बच्चे को शख्ती के साथ मस्जिद में आने से रोकना चाहिए
📃■☞ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया अपनी मस्जिदों को बचाओ बच्चों से पागलो से खरीदने औऱ बेचने से औऱ झगडा करने से औऱ जोर जोर से बोलने से।
📬 इब्ने माज़ा बाब मा यकरहु फिल मस्जिद सफ़ह 55 📒
📃■☞ सदरुशशहरीआ हज़रत मौलाना अमजद अली साहब आज़मी रहमतुल्लाहि तआला लिखते हैं। बच्चे औऱ पागल जिनसे नजासत का गुमान हो मस्जिद में ले जाना हराम हैं। वरना मकरुह।
📬 बहारे शरीयत हिस्सा 3 सफ़ह 192 📚
📃■☞ किकुछ लोग कहते हैं कि बच्चे मस्जिद में नही आएंगे तो सीखेंगे कैसे तो भाइयों समझदार बच्चों के लिये मस्जिद है और नासमझ ज्यादा छोटे बच्चों के लिए घर और मदर्से हैं। औऱ हदीस ए रसूल के आगे अपनी नही चलानी चाहियें।...✍
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🔐 नबी ए करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का फरमाने इबरत निशान है कि चीज़ें हलाकत में डालने वाली हैं...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ 04 चीज़ें
📁Ⓑ📁 ➪ 03 चीज़ें
📁Ⓒ📁 ➪ 02 चीज़ें
📁Ⓓ📁 ➪ 05 चीज़ें
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ नबी ए करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का फरमाने इबरत निशान है कि तीन चीज़ें हलाकत में डालने वाली हैं
⚘1 ➤ वह बुखल जिसकी इताअत की जाए
⚘2 ➤ वह नफ़सानी ख्वाहिशात जिनकी पैरवी की जाए
⚘3 ➤ आदमी का अपने आप को अच्छा समझना...✍
📬 शोएबुल ईमान जिल्द 1 सफ़ह 571 हदीस 745 📚
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🔐 इमाम के साथ नमाज़ पढ़ना फ़िर दुआ के वक़्त अधूरे में ही इमाम का साथ छोड़कर अपनी दुआ ख़त्म कर देना कैसा...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ मुक़तदी पर लाज़िम हैं। नमाज़ की तरह दुआ भी मुक़म्मल करें वरना गुनाहगार होंगा
📁Ⓑ📁 ➪ बा-जमात नमाज़ का सवाब उसी वक़्त है जब मुक़म्मल दुआ तक इमाम की पैरवी की जाए
📁Ⓒ📁 ➪ कोई हर्ज नही मुक़तदी चाहें तो रुकें या अपनी दुआ ख़त्म कर दें
📁Ⓓ📁 ➪ नमाज़ मुक़म्मल हुई लेकिन दुआ की कुबूलियत में कमी होंगी
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🏐©🏐 कोई हर्ज नही मुक़तदी चाहें तो रुकें या अपनी दुआ ख़त्म कर दें
💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ हर नमाज़ सलाम फेरने के बाद मुक़म्मल हो जाती हैं। उसके बाद जो दुआ माँगी जाती हैं। यह नमाज़ में दाख़िल नही अगर कोई शख्स नमाज़ पढ़ने यानी सलाम फेरने के बाद बिल्कुल भी दुआ न मांगे तब भी उसकी नमाज़ में कोई कमी नही अलबत्ता एक फ़ज़ीलत से महरूमी औऱ सुन्नत के ख़िलाफ़ वर्ज़ी हैं। कुछ जगह देखा गया हैं कि इमाम लोग बहुत लंबी दुआयें पढ़ते हैं औऱ मुक़तदी कुछ खुशी के साथ औऱ कुछ बे रगबती से मज़बूरन उनका साथ निभाते हैं औऱ कोई बग़ैर दुआ मांगे या थोड़ी दुआ मांग कर इमाम साहब का पूरा साथ दिए बगैर चला जाए तो उस पर एतराज़ करते हैं औऱ बुरा जानते हैं ये सब उनकी गलतफहमियां हैं इमाम के साथ दुआ माँगना मुक़तदी के ऊपर हरगिज़ लाज़िम व जरूरी नही वह नमाज़ पूरी होने के बाद फौरन मुखतसर दुआ माग कर भी जा सकता हैं। औऱ कभी किसी मज़बूरी औऱ उज़्र की बिना पर बग़ैर दुआ मांगे चला जाये तब भी नमाज़ में कमी नही आती।...✍
📬फतावा रजविया ज़िल्द 3 सफ़ह 278📚
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🔐 नमाज़ में इमाम का मुक़तदी से ऊँची जगह खड़ा होंना कैसा...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ कोई हर्ज़ नही इस सूरत में भी नमाज़ हो जाएंगी
📁Ⓑ📁 ➪ नमाज़ हो जाएंगी लेकिन इमाम गुनाहगार होंगा
📁Ⓒ📁 ➪ नमाज़ मकरूहे तेहरिमी होंगी लौटाना वाज़िब
📁Ⓓ📁 ➪ पहली सफ़ इमाम के बराबर हो तो कोई हर्ज नही
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🔰■☞ कई जगह देखा गया हैं कि नमाज़ में इमाम मुक़तदियों से ऊँचे जगह खड़ा होता है। मसलन मस्जिद के अंदर की कुर्सी ऊँची हैं औऱ बाहर के हिस्से की नीची है औऱ इमाम का मुसल्ला अंदर के फर्स पर हैं मुक़तदी बाहर या दोंनो अंदर है लेकिन इमाम के मुसल्ले के लिए फर्स ऊंचा कर दिया गया है तो ये मकरुह हैं औऱ इस तरह नमाज़ पढ़ने से नमाज़ में कमी आती हैं।
📃■☞ मसलन ये है कि इमाम का अकेले बुलंद या ऊंची जगह खड़ा होना मकरुह है औऱ ऊचाई का मतलब ये हैं देखने से अंदाज़ा हो जाये कि इमाम ऊंचा है और मुक़तदी नीचे औऱ ये फ़र्क़ मामूली हो तो मकरूहे तंज़ीही औऱ ज्यादा हो तो मकरूहे तेहरिमी है। हा अगर पहली सफ़ इमाम के साथ औऱ बराबर में हो औऱ बाकी सफ़ नीची हो तो कुछ हर्ज़ नही यह जाइज़ है। इस मसअले की तफ़सील जानने के लिए फ़तावा रजविया ज़िल्द 3 सफ़ह 415 देखना चाहिए। इस मसअले का ख़ास ध्यान रखना चाहिए क्योंकि खुद हदीस में भी इससे मुताल्लिक मरवी है।
📃■☞ हज़रते हुजैफा रादिअल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया की जब इमाम नमाज़ पढ़ाए तो मुक़तदी से ऊंची जगह न खड़ा हो।...✍
📬 अबु दाऊद ज़िल्द 1 सफ़ह 88 📚
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🔐 मुक़तदी का इमाम के पीछे इस हाल में नमाज़ पढना की वो उस इमाम से बुज्ग रखता हो यहाँ तक के सलाम दुआ सब बंद हो तो उसकी नमाज़ का क्या हुक़्म होंगा...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ मुक़तदी का इमाम से दिल से दिल मिलना जरूरी है। वरना नमाज़ न होंगी
📁Ⓑ📁 ➪ इमाम से बुज्ग रखने वाले मुक़तदी कि नमाज़ जाइज़ नही बेहतर हैं इस हाल में उस इमाम के पीछे नमाज़ न पढ़ें
📁Ⓒ📁 ➪ इमाम से बुज्ग रखने वाले मुक़तदी की नमाज़ जाइज़ हैं
📁Ⓓ📁 ➪ इमाम से बुज्ग रखने वाले मुक़तदी कि नमाज़ मकरुह होंगी
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🏐©🏐 इमाम से बुज्ग रखने वाले मुक़तदी की नमाज़ जाइज़ हैं।
💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ अक़्सर ऐसा होता हैं कि इमाम औऱ मुक़तदी के दरमियान कोई दुनियावी इख़्तिलाफ़ हो जाता हैं जैसे आज कल के सियासी समाजी औऱ ख़ानदानों औऱ बिरादरियों के इख़्तिलाफ़ात औऱ झगडे। तो इन वुज़ूहात पर लोग उस इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ना छोड़ देते हैं औऱ कहते हैं कि जिससे दिल मिला हुआ हो न हो उसके पीछे नमाज़ न होंगी यह उनकी गलतफहमी हैं औऱ वो लोग धोखे में हैं
📃■☞ सही बात ये हैं कि जो इमाम शरई तौर पर सही हो उसके पीछे नमाज़ दुरुस्त हैं चाहे उससे आपका दुनियावी झगडा ही क्यों न हो। बातचीत, दुआ सलाम सब बंद हो फ़िर भी आप उसके पीछे नमाज़ पढ़ सकते हैं। नमाज़ की दुरूस्तगी के लिए जरुरी नही हैं कि दुनियावी ऐतबार से मुक़तदी का दिल इमाम से मिला हुआ हो। हा तीन दिन से ज्यादा एक मुसलमान का दूसरे मुसलमान भाई से बुराई रखना औऱ मेलजोल न करना शरीयत में शख्त न पसंदीदा हैं।
📃■☞ हदीस में हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया मुसलमान के लिए हलाल नही कि अपने भाई को तीन दिन से ज़्यादा छोड़ रखें जब उससे मुलाक़ात हो तो तीन मर्तबा सलाम कर ले अगर उसने जवाब न दिया तो इसका गुनाह उसके ज़िम्मे हैं।
📬 अबु दावूद किताबुल अदब ज़िल्द 2 सफ़ह 673 📔
📃■☞ लेकिन इसका नमाज़ औऱ इमामत से कोई ताल्लुक नही रंजिश औऱ बुराई में भी इमाम के पीछे नमाज़ हो जाएंगी औऱ जो लोग जाती रंजिशो के बिना पर अपने नफ़्स औऱ जात की ख़ातिर इमामो के पीछे नमाज़ पढ़ना छोड़ देते है ये खुदा के घर को वीरान करने वाले हैं। इन्हें खुदा तआला से डरना चाहिए क़ब्र की एक एक घड़ी औऱ क़यामत का एक एक लम्हा भारी पढ़ने वाला हैं।
📃■☞ आला हजरत इमाम ए अहले सुन्नत फ़रमाते है। जो लोग बराहे नफ़सानियत इमाम के पीछे नमाज़ न पढ़ें और जमाअत होती रहे औऱ शामिल न हो, वो शख्त गुनहगार हैं।...✍
📬 फ़तावा रजविया ज़िल्द 3 सफ़ह 221 📚
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🔐 वज़ीफा के अमल का अज़र किस अमल के बाइस हैं।...❓
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ फ़र्ज़ ए अमल
📁Ⓑ📁 ➪ वाज़िब ए अमल
📁Ⓒ📁 ➪ हुक्म ए पीर का अमल
📁Ⓓ📁 ➪ हुक्म ए उलेमा ए केराम का अमल
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🏐🅰🏐 फ़र्ज़ ए अमल
💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ काफ़ी लोग देखें गए कि वो नमाज़ का ख़्याल नही रखते और पढ़ते भी है। तो वक़्त निकाल कर जल्दी जल्दी बे जमाअत के औऱ वजीफ़ों औऱ तस्बीहों में लगे रहते हैं। उनके वज़ीफ़े उनके मुंह मे मार दिए जाएंगे क्योंकि जिसके फ़र्ज़ पूरे न हो उसका कोई नफ़्ल क़ुबूल नही। इस्लाम मे सबसे बड़ा वज़ीफा औऱ अमल नमाज़े बा-जमाअत की अदाएक़ी हैं।
📃■☞ आला हज़रत फ़रमाते हैं। जब तक फ़र्ज़ ज़िम्मे बाकी हैं। कोई नफ़्ल कुबूल नही किया जाता।
📬 अलमलफूज हिस्सा 1 सफ़ह 77 📔
📃■☞ हदीस में हैं। कि एक मर्तबा हज़रत उमर एक दिन फ़ज़र की जमाअत में हज़रत सुलेमान बिन अबी हसमा को नही पाया दिन में बाज़ार को जाते वक़्त उनके घर के पास से गुजरे तो उनकी माँ से पूछे कि आज सुलेमान जमाअत में क्यूँ नही थे उनकी वालिदा हज़रते सिफा ने अर्ज़ किया की रात भर जाग कर इबादत करते रहे फ़ज़र की जमाअत के वक़्त नींद आ गई औऱ जमाअत में शरीक़ रहने से रह गये अमीरुल मोमनीन हज़रते फ़ारूक़ आज़म ने फरमाया की मेरे नज़दीक़ सारी रात जाग कर इबादत करने से फ़ज़र की जमाअत में शरीक़ होना ज्यादा बेहतर हैं।...✍
📬 मिश्कात बाबुल जमाअत सफ़ह 67 📚
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🔐 जनाज़े की नमाज़ पढने वालो को कितने क़िरअत सवाब मिलेगा...❓
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📁Ⓐ📁 ➪ 03 क़िरअत
📁Ⓑ📁 ➪ 01 क़िरअत
📁Ⓒ📁 ➪ 02 क़िरअत
📁Ⓓ📁 ➪ 05 क़िरअत
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ जनाज़ा की नमाज़ पढ़ने से पहले मालूम कर लेना है। की जनाज़ा मर्द का है। या औरत का उसी एतबार से नियत दिल में की जाएंगी
📃■☞ हज़रते सय्यदना अबु हुरैरा رضي الله تعالٰی عنه ने कहा की सरकार-ए-मदीना صلی اللہ تعالٰی علیہ والہ وسلم ने इरशाद फ़रमाया की जो शख्स (ईमान का तक़ाज़ा समझ कर और हुसूल-ए-सवाब की नियत से) अपने घर से जनाज़े के साथ चला, नमाज़-ए-जनाज़ा पढ़े और दफ़्न तक जनाज़े के साथ रहा, उसके लिए दो किरात सवाब है। जिस में से हर किरात उहद पहाड़ के बराबर है। और जो शख्स सिर्फ जनाज़े की नमाज़ पढ़ कर वापस आ जाए (और तद्फीन में शरीक न हो) तोह उसके लिए एक किरात सवाब है।...✍
📬 सहीह मुस्लिम : हदीस 945, हदीस 78
📬 नमाज़ के अहकाम (हिंदी), मक्तबतुल मदीना-हिंद, सफ़ह 394 📚
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🔐 नमाज़ में या नमाज़ के बाहर तिलावत ए क़ुरआन पढ़ते वक़्त होठों को तो हिलाया लेकिन आवाज़ न निकालना कैसा...❓
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📁Ⓐ📁 ➪ ऐसी तिलावत औऱ नमाज़ में कोई अजर व सवाब नही
📁Ⓑ📁 ➪ दोनों सूरत में तिलावत ए क़ुरआन पढ़ना जाइज़ हैं। कोई हर्ज नही
📁Ⓒ📁 ➪ नमाज़ मक़रूहे तहरीमी / बाहर तिलावत क़ुरआन जाइज़
📁Ⓓ📁 ➪ नमाज़ मक़रूहे तहरीमी / बाहर तिलावत क़ुरआन के सवाब में कमी
📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
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🏐🅰🏐 ऐसी तिलावत औऱ नमाज़ में कोई अजर व सवाब नही
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🔰■☞ कुछ लोग क़ुरआन की तिलावत औऱ नमाज़ या नमाज़ के बाहर कुछ पढ़ते हैं। तो सिर्फ़ होंठ हिलाते हैं। औऱ आवाज़ बिल्कुल नही निकालते हैं। उनका ये पढ़ना , पढ़ना नही हैं। औऱ इस तरह पढ़ने से नमाज़ नही होंगी औऱ इस तरह क़ुरआन की तिलावत की तो तिलावत का सवाब नही पायेंगे आहिस्ता पढ़ने का मतलब यह हैं। कि कम से कम इतनी आवाज़ जरूर निकले कि कोई रुकावट न हो तो खुद सुन ले सिर्फ़ होंठ हिलना औऱ आवाज़ का बिल्कुल भी न निकलना पढ़ना नही हैं। औऱ इस मसअले का खास ध्यान रखना चाहिए...✍
📬फ़तावा आलमगीरी ज़िल्द1 सफ़ह 65📔
📬 बहारे शरीयत ज़िल्द 3 सफ़ह 66 📚
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👨💻➧ बराये करम इस पैगाम को जरूर शेयर कीजिये अल्लाह तआला आपको इसका अज़र ए अज़ीम जरूर देंगा मुझे अपनी और सारी दुनिया के लोगो के इस्लाह की कोशिश करनी है. إن شاء الله عزوجل